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बदलते परिवेश में जरूरी है पौष्टिक आहार

बरेली:- बरेली जिले की किशोरियों के लिए पैड बैंक अभियान चलाने वाली शिक्षिका राखी गंगवार कहती हैं कि अच्छा भोजन ही हमारे स्वास्थ्य को अच्छा रखता है घर का बना हुआ साफ शुद्ध भोजन जो कि घर की महिलाओं के द्वारा रसोई में बड़े इत्मीनान से धीरे-धीरे प्यार की भीनी भीनी खुशबू में जब पकाया जाता है और खुद परोस कर जब घर के सभी सदस्यों को खिलाया जाता है तो उसका स्वाद ही कुछ अलग होता है लेकिन आजकल जो परंपरागत तरीके से खाना बनता चला रहा था उसकी जगह होटल और रेस्टोरेंट ने ले ली है जिसका कारण आप लोग देखते होंगे तरह-तरह की बीमारियां गैस अपच बदहजमी और न जाने कितने प्रकार के रोगों से हम लोग ग्रसित हो जाते हैं उन्हें में से एक बीमारी है मोटापा कहीं ना कहीं देखा जाए तो शरीर में जो अनावश्यक मोटापा है वह भी हमारे अस्त व्यस्त रहन-सहन और हमारे खान-पान के सही ना होने के कारण होता है। आजकल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में घर की महिलाओं के द्वारा भोजन न बनने के बहुत सारे कारण हैं इनमें से मैं कुछ कामकाजी महिलाएं हैं जिनको समय नहीं मिल पाता या फिर बदलते लाइफस्टाइल में लोग घर से ज्यादा बाहर के खाने को महत्व देते हैं लेकिन कहीं ना कहीं इसके जो दुष्प्रभाव हैं वह देखे जा रहे हैं कि हमारे भोजन में पौष्टिक तत्वों का काम हो जाना और ताजी सब्जियां बा मोटे अनाजों का आहार में काम होना इन सब की वजह से जो संतुलित आहार नहीं ले पाते हैं उसी का में कारण है तरह-तरह के रोगों और बीमारियों को जन्म देना। कहा भी जाता है कि स्त्री अन्नपूर्णा होती है और अन्नपूर्णा उसे तभी कहा जाएगा जब वह रसोई में जाकर खाना बनाती है और अपने हाथों से सभी को खिलाता है आजकल यह परंपरा विलुप्त होती जा रही है और अगर इस पर जल्दी ध्यान नहीं दिया गया तो हम लोग फास्ट फूड जंक फूड जैसा कचरा खाते रहेंगे और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते रहेंगे हमारे बच्चों को भरपूर आहार में न्यूट्रिशंस नहीं मिल पाएंगे जिसके कारण उनकी शारीरिक वृद्धि और मानसिक वृद्धि में भी अभाव रहेगा पहले घरों में मिट्टी की हांडी में भोजन बनता था जिससे सारे पौष्टिक तत्व खाने में मिल जाते थे उनकी जगह आजकल जो एल्युमिनियम के और नॉन स्टिक बर्तनों ने ले ली इसकी वजह से भी तमाम तरह की जो बीमारियां हैं वह उत्पन्न हो रही है तो कोशिश की जाए की कढ़ाई लोहे की ही उपयोग करें और कुकर पीतल का या जो अन्य धातुओं का मिक्स धातुओं का आ रहा है उसका उपयोग करें हो सके तो पानी पीने के लिए तांबे के गिलास लोटा या जग का उपयोग करें और हरी सब्जियां, दाल, जौ, बाजारा, मक्का को भोजन में जरूर शामिल करें। अगर इस तरह से छोटी-छोटी चीजों का हम लोग ध्यान रखेंगे और पुरानी शैली को अपनायेगे तो शारीरिक वृद्धि के साथ-साथ मानसिक वृद्धि और साथ ही एक अच्छी जीवन शैली पायेगे। हम पूर्णतया अपने आप को नहीं बदल सकते लेकिन धीरे-धीरे कुछ बदलाव किया जा सकता है।

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