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फूलन देवी को जेल से रिहा करा संसद तक पहुँचाया था उन्नाव के पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद रहे स्व. मनोहर लाल ने


उन्नाव:- फूलन देवी के पूरे जीवनकाल को हम दो हिस्सो में बाँट सकते है। पहला (1963 - 1994 तक) उनके जन्म होने से लेकर आत्मसमपर्ण और जेल तक तथा दूसरा (1994 - 2001 तक) जब उन्नाव के पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद रहे स्व० मनोहर लाल एडवोकेट ने तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. मुलायम सिंह यादव से आग्रह करके उनको जेल से रिहा करा संसद तक पहुँचाया। पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद रहे स्व० मनोहर लाल एडवोकेट का उस दौर में प्रदेश ही नहीं अन्य प्रदेशों में बड़ा नाम हुआ करता था और उस दौर में वह अपनी जाति के बड़े नेताओ में से एक थे इसके साथ ही साथ पिछडी जाति के बड़े नेताओं में भी उनकी गिनती होती थी। आपको बताते चले पूर्व सांसद एवं पूर्व मंत्री श्रम, न्याय, परिवहन, पशुधन एवं मत्स्य स्व. मनोहर लाल एडवोकेट द्वारा आयोजित २० जनवरी १९९४ को अखिल भारतीय लोधी निषाद बिन्द कश्यप एकता समता महासभा एवं नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ फिशरमैन (राष्ट्रीय निषाद संघ) की बेगम हजरत महल पार्क लखनऊ रैली में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने पूर्व सांसद, पूर्व मंत्री स्व. मनोहर लाल एडवोकेट, रामकुमार एडवोकेट, दीपक कुमार व उनके समाज के अन्य नेताओ व मीटिंग में उपस्थित लोगों की माँग पर फूलन देवी की जेल से रिहाई की घोषणा की। फूलन देवी की जेल से रिहाई के पश्चात पूरे उत्तर प्रदेश में मनोहर लाल एडवोकेट द्वारा फूलन देवी के परिचय की मीटिंगे आयोजित की जिससे राजनैतिक परिद्रस्य में फूलन देवी स्थापित हुई।

                   

    फूलन देवी का जन्म जालौन के छोटे से गाँव गोरहा में 10 अगस्त 1963 को बेहद गरीब परिवार में हुआ था। फूलन देवी अपने जीवन के प्रारंभ से ही अत्याचार का शिकार रही। मात्र 11 वर्ष की उम्र में शादी हो गई कुछ दिन बाद ही पति के अत्याचार से वापस आकर अपनी माँ के साथ रहने लगी। 15 वर्ष की थी तो गाँव के ही सामंती लोगो ने सामूहिक बलात्कार किया जिसके बाद फूलन देवी ने बदला लेने की ठानी और 1981 में चंबल के डाकुओं के साथ गाँव पर हमला बोलकर 22 लोगो को एक कतार में खड़ा करके सबके सामने गोली मार दी। इस घटना के बाद सरकार का दबाव बढ़ने लगा फिर फूलन देवी ने 1983 में अपनें साथियों संग आत्मसमपर्ण किया।

                   

  जनपद उन्नाव के पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद रहे स्व० मनोहर लाल एडवोकेट के आग्रह पर तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव ने 1994 में 11 साल से बंद फूलन देवी के सभी मुकदमें वापस लेकर उन्हे रिहा कर दिया और उन्हे सम्मानपूर्वक समाजवादी पार्टी में भी शामिल कराया और 1996 में मिर्जापुर संसदीय सीट से समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी घोषित कर पूरे देश को आश्चर्यचकित कर दिया।


     मिर्जापुर संसदीय क्षेत्र में फूलन देवी के ठहरने व प्रचार के लिए सभी संसाधन की व्यवस्था तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने खुद की और उनके कहने पर एक कालीन व्यवसाई ने अपना पूरा घर फूलन देवी को रहने के लिए दे दिया।


   फूलन की सभाओं में भारी भीड़ होती थी वह हर मंच से स्व. मुलायम सिंह यादव (नेताजी) और पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद रहे स्व० मनोहर लाल एडवोकेट के प्रति आभार जताती और कहती कि आप लोगों ने हमें नया जीवन दिया है, अब जनता की बारी है। आप हमें अपनी सेवा का मौंका दीजिए हम आपके साथ अन्याय नही होने देंगे।

                 

    देश विदेश की मीडिया मिर्जापुर में चुनाव को कवर कर रही थी। स्व. मुलायम सिंह यादव और स्व. मनोहर लाल ने पूरे चुनावी अभियान को संभाला और फूलन देवी ने भारी मतो से जीतकर इतिहास रच दिया।दअरसल, फूलन को चुनाव में उतारना लोकतंत्र में एक क्रांति थी। इस एक फैसले ने भारतीय लोकतांत्रिक राजनीति में उन तमाम चेहरों को आवाज दिया जो सदियों से समाज में उपेक्षित व बहिष्कृत थे। जैसे-जैसे फूलन संसद की सीढ़िया चढ़ रही थी, पूरा समाज रफ्ता-रफ्ता उठ खड़ा हो रहा था। फूलन अपने समाज के अस्मिता का प्रतीक बन चुकी थी पर अफसोस कि 25 जुलाई सन् 2001 को उनके अपने ही आवास के सामने हमलावरों ने गोली मार दी।


पूर्व विधायक रामकुमार एवं पूर्व विधायक, सांसद स्व. दीपक कुमार को भाई मानती थी फूलन देवी

                   

पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद स्व. मनोहर लाल एडवोकेट के करीबी बताते हैं कि फूलन देवी को जेल से रिहाई से लेकर राजनीति में लाकर संसद तक पहुँचाने का पूरा श्रेय स्व. मनोहर लाल जी को जाता हैं। उनके करीबी बताते हैं कि सांसद बनने के बाद फूलन देवी स्व. मनोहर लाल जी से मिलने उनके घर आई। जनपद उन्नाव के तत्कालीन विधायक, सांसद स्व. दीपक कुमार एवं तत्कालीन सदर विधायक रामकुमार को वह आपना भाई मानती थी। स्व. मनोहर लाल जी के सुपुत्र दीपक कुमार जब-जब चुनाव लड़े वह उनके चुनाव प्रचार मे आई। पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद स्व. मनोहर लाल जी के स्वर्गवास की सूचना जैसे ही उनको मिली वह उनके घर आई और बहुत रोई तथा कहने लगी कि हमने अपना गुरू नही पिता खोया है।

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